हर मुश्किल दा हल सतगुरु है
कल वी सतगुरु सी अज्ज वी सतगुरु है
हर मुश्किल दा हल सतगुरु है
कल वी सतगुरु सी अज्ज वी सतगुरु है
हर मुश्किल दा हल सतगुरु है
कल वी सतगुरु सी अज्ज वी सतगुरु है
गुरुसिख गुरु दा फड़दा जो पल्ला
पहरेदार वांग ओहदा पहरा देवे अल्लाह
भगतां दा राखा हल पर सतगुरु है
कल वी सतगुरु सी अज्ज वी सतगुरु है
हर मुश्किल दा हल सतगुरु है
कल वी सतगुरु सी अज्ज वी सतगुरु है
हर मुश्किल दा ….
इस दे हुकम नाल कम्म होण सारे
इस दी रज़ा बिन कौण है जो मारे
होण वाली जाने हर गल्ल सतगुरु है
कल वी सतगुरु सी अज्ज वी सतगुरु है
हर मुश्किल दा हल सतगुरु है
कल वी सतगुरु सी अज्ज वी सतगुरु है
हर मुश्किल दा ……
आप ही समेत दा ते आप्प्पे खेडां पावे
अस्सी नादान सानू समझ ना आवे
जल सतगुरु है थल सतगुरु है
कल वी सतगुरु सी अज्ज वी सतगुरु है
हर मुश्किल दा हल सतगुरु है
कल वी सतगुरु सी अज्ज वी सतगुरु है
हर मुश्किल दा ……
किश्ती किनारा मल्लाह सतगुरु है
अनथक डरे क्यूँ जिहदा सतगुरु है
सागर है सतगुरु, छल सतगुरु है
कल वी सतगुरु सी अज्ज वी सतगुरु है
हर मुश्किल दा हल सतगुरु है
कल वी सतगुरु सी अज्ज वी सतगुरु है
हर मुश्किल दा ……
Tuesday, October 1, 2024
Har Mushkil Da Hal Sataguru Hai हर मुश्किल दा हल सतगुरु है, निरंकारी गीत, Nirankari Bhajan Song
Thursday, July 11, 2024
Bhagwan ka Shukrana
|| बहुत सुंदर लेख है ||
!! हे परमेश्वरा !!
कोई भी आवेदन नहीं किया था,
किसी की भी सिफारिश नहीं थी,
फिर भी सिर के *बालों से* लेकर पैर के *अंगूठे तक* 24 घंटे भगवान,
आप *रक्त* प्रवाहित करते है...
*जीभ पर* नियमित अभिषेक हो रहा है...
निरंतर आप मेरा ये
*हृदय* चला रहे है...
चलने वाला ये कौन सा *यंत्र* आपने फिट कर दिया है *हे भगवान...*
*पैर के नाखून से लेकर सिर के बालों तक बिना रुकावट संदेशवाहन करने वाली प्रणाली...*
किस *अदृश्य शक्ति* से चल रही है
कुछ समझ नहीं आता।
*हड्डियों और मांस में* बनने वाला *रक्त* कौन सा अद्वितीय *आर्किटेक्चर* है...
इसका मुझे कोई अंदाजा नहीं है।
*हजार-हजार मेगापिक्सल वाले दो-दो कैमरे* दिन-रात सारी दृश्यें कैद कर रहे हैं।
*दस-दस हजार* टेस्ट करने वाली *जीभ* नाम की टेस्टर,
अनगिनत *संवेदनाओं* का अनुभव कराने वाली *त्वचा* नाम की *सेंसर प्रणाली*...
और...
अलग-अलग *फ्रीक्वेंसी की* आवाज पैदा करने वाली *स्वर प्रणाली*
और
उन फ्रीक्वेंसी का *कोडिंग-डीकोडिंग* करने वाले *कान* नाम का यंत्र...
*पचहत्तर प्रतिशत पानी से भरा शरीर रूपी टैंकर हजारों छेद होने के बावजूद कहीं भी लीक नहीं होता...*
*स्टैंड के बिना* मैं खड़ा रह सकता हूँ...
गाड़ी के *टायर* घिसते हैं, परंतु पैर के *तलवे* कभी नहीं घिसते।
*अद्भुत* ऐसी रचना है ,भगवान आपकी।
देखभाल, स्मृति, शक्ति, शांति ये सब भगवान आप
ही देते है।
आप ही अंदर बैठ कर यह *शरीर* चला रहे है।
*अद्भुत* है यह सब, *अविश्वसनीय,*
*असमझनीय।*
ऐसे *शरीर रूपी* मशीन में हमेशा भगवान आप ही हो ,
इसका अनुभव कराने वाली *आत्मा* भगवान आपने ऐसा कुछ *फिट* कर दिया है कि और क्या आपसे मांगू ...
आपके इस *जीवाशिवा* के खेल का निश्छल,
*निस्वार्थ आनंद* का हिस्सा रहूँ!...
ऐसी *सद्बुद्धि* मुझे दे!!
आप ही यह सब संभालते है इसका *अनुभव* मुझे हमेशा रहे!!!
*रोज पल-पल कृतज्ञता से आपका ऋणी होने का स्मरण, चिंतन हो,*
*यही परमेश्वर के चरणों में प्रार्थना है!*.
🕉️🙏🏻🙏🏻🙏🏻🕉️🌹
Tuesday, May 14, 2024
जब हिंदुस्तान में नई-नई रेलगाड़ी (Train) चलाई तो एक डेरे के बाबा जी रोजाना रेलगाड़ी क्यूं देखने जाते थे?
अंग्रेजों ने जब हिंदुस्तान में नई-नई रेलगाड़ी (Train) चलाई तो एक डेरे के बाबा जी रोजाना रेलगाड़ी देखने जाते थे। एक दिन डेरे के सेवादारों ने पूछ लिया कि आप रोज Train देखने क्यों जाते हो ? 🤔
बाबा जी ने जवाब दिया कि "मुझे रेलगाड़ी के Engine से प्यार हो गया है।" ❤️
सेवादारों ने पूछा, "प्यार क्यों हो गया है?
बाबा जी बोले, "इस की कुछ खास वजह है।
पहली वजह यह है कि Train का इंजन अपनी मंजिल पर पहुंच कर ही रुकता है।
दूसरी वजह यह है कि इंजन अपने हर डिब्बे को साथ लेकर चलता है।
तीसरी वजह यह है कि इंजन आग खुद खाता है और डिब्बों को खाने नहीं देता है।
चौथी वजह यह है कि इंजन अपने तय रास्ते से भटकता नहीं है।
पांचवीं और आखिरी वजह यह है कि इंजन डिब्बों का मोहताज नहीं है। 🤷♂️
परिवार के मुखिया (Leaders) को भी रेलगाड़ी के Engine जैसा होना चाहिए। 🙇🏻♂️🤗
Wednesday, April 10, 2024
Oneness Talks Program 11 April 2024, Nirankari Sarovar Delhi
धन निरंकार जी
सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की असीम कृपा और दृष्टि के अनुपम उपहार - *Oneness Talks का अगला सत्र वीरवार, 11 अप्रैल 2024 को शाम 6.30 बजे से 9 बजे तक निरंकारी सरोवर, दिल्ली के दिव्य प्रांगण में आयोजित किया जा रहा है।*
इस बार भी हम Greek Philosophy (यूनानी दर्शन) पर परिचर्चा करते हुए उसकी सामयिक प्रासंगिकता पर विवेचन करेंगे। *सुकरात, प्लेटो, डायोजीनीज़ और अरस्तू जैसे दार्शनिकों के जीवन की कथा कहानियों के साथ साथ अनेक संदेश भी साझा होंगे।*
“*मन के भीतर का बचपन”, “जीवन की क्षणभंगुरता” और “वर्तमान में आनंद के महत्व” जैसे विषयों पर ज्ञान वर्धक चर्चा* के लिए अवश्य पधारें और ईद के मुबारक मौक़े को मुकम्मल बनायें।
सभी का हार्दिक स्वागत है । अपने साथ एक पेन अवश्य लेकर आयें।
प्रचार विभाग
संत निरंकारी मंडल 🙏🏼😊
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