सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज के प्रवचन (9-ऑक्टोबर-16,चंडीगड़ समागम)-
साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी
1) पिछले 36 वर्षो में बाबा जी और राजमाता जी के साथ आपके पासअनेको बार आने का मौका मिला. आप आज इतनी संख्या में दूर-दूर सेआए हैं क्यूंकी आपके दिलों में बाबा जी के लिए प्यार है. इसी प्रकारबाबा जी ने भी सबको इतना प्यार दिया चाहे वो छोटा सा बच्चा हो याबुज़ुर्ग हो, सबको ऐसे ही लगता था की उसी के साथ बाबा जी सबसेज़्यादा प्यार करते थे !
2) एक शक्कर की बोरी वाला उदाहरण हमनेबाबा जी से सुना कीउसको कही से भी खोलो, उसमें से शक्कर ही निकलती है, इसी प्रकारका जीवन बाबा जी ने हम सबसे चाहा, प्रेम वाला, प्रीत वाला, गुरमतवाला, इंसानियत वाला !
3) अगर हम फसल लगाते हैं, खाद भी अच्छी उसमे डालें, मिट्टी भीअच्छी हो मगर अगर पानी खारा हम डाल दें तो वो फसल को नुकसानपहुँचा देता है! इसी प्रकार अगर हमारे भाव भी अच्छे हों, विचार भीअच्छे हों पर भाषा कड़वी हो तो उससे नुकसान ही पहुँचता है!
4) बाबा जी कहते थे प्रेम की भाषा सबसे प्यारी भाषा है! छोटा साबच्चा भी है जो बोल नही पाता, वो भी समझ लेता है और किसी भी देशमें रहने वाला कोई भी व्यक्ति इस भाषा को समझ लेता है और इसीभाषा की हम सबसे उम्मीद रखी है बाबा जी ने!
5) हवा चलती है, पत्तों का रुख़ हवा की तरफ ही होता है, इसी प्रकारजो हमें बाबा जी ने इतना सिखाया है, हमने सबने मिल-जुल्के उसीतरफ चलना है, अपनी मर्यादायें नही भूलनी, मिशन की सिखलाई नहीभूलनी!
6) दासी अपने लिए भी आपसे अरदास करती है, निरंकार के आगेअरदास करती है, जिस प्रकार बाबा जी आप सबको इतना प्यार दे पाएऔर बाबा जी देते रहे सबको, दासी भी ऐसे ही आपको दे पाए!
7) आपके शहर का ही पैदा हुआ बच्चा अवनीत, भले 2-2.5 बरस हीपरिवार में आया, पर उस बच्चे ने कभी भी कोई रिश्तेदारी का मान नहीदिखाया, हमेशा गुरमत में ही रहा. निरंकार किरपा करे हर घर में ऐसेप्यारे, ऐसे विश्वास वाले, मिशन के साथ जुड़े हुए बच्चे हों!
साध संगत जी धन निरंकार
No comments :
Post a Comment