Saturday, March 4, 2017

Discourse of Satguru Mata Savinder Hardev Ji Maharaj (25 Feb, 2017) | Kolkata Nirankari Samagam | Day-1


*सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज के प्रवचन (25-फरवरी-17, कोलकता समागम, पहला दिन)-*

प्यारी साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी

1) बाबा जी के साथ North East के अनेकों शहरों और गाँवों में जाने का अक्सर मौका मिलता रहा और आप सब महापुरुषों के दर्शन करके आशीर्वाद लेने का भी मौका मिलता रहा। कोलकता में भी अनेको बार बाबाजी के साथ आए और समागम भी किए, पर *आज इस रूप में पहली बार यहां पे अपनी जमीन पे समागम हो रहा है और आप सब ये सुंदर रूप देख रहे हैं।*

2) शायद 2 या 3 वर्ष पहले जब बाबाजी के साथ इसी ज़मीन पे आने का मौका मिला था तो उसी टाइम शायद इसको खरीदा गया था और बाबाजी ने बड़ी खुशी से फरमाया था कि अब कोलकता में हम अपनी ज़मीन पे समागम कर पाएंगे। *यह सिर्फ और सिर्फ बाबा जी के आशीर्वाद से, बाबा जी की मेहरबानी से, जो आज हम सुंदर दृश्य देख रहे हैं, ये हमें देखने को मिल रहा है। हम बाबा जी के एहसानों का बदला कभी चुका नहीं पाएंगे।*

3) कुछ समय पहले एक बच्चों की किताब में एक कहानी पढ़ने को मिली कि एक बहुत गरीब व्यक्ति था। वो अपनी फरियाद लेके राजा के दरबार में गया और अपना उसने हाल सुनाया। राजा बहुत दयालु था। उसने एलान किया कि इसको 30 सोने के सिक्के रोज़ दिए जाएं। उस व्यक्ति ने राजा के एहसान का शुक्र किया और शुक्र करते-करते अपने घर जाकर अपनी आराम से जिंदगी व्यतीत करने लगा। 
कुछ समय बाद राजा के राज्य में थोड़ी सी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई तो राजा ने ऐलान किया कि अब कुछ देर के लिए दान-पुण्य के सभी काम बंद करने पड़ेंगे। जब उस व्यक्ति को यह पता चला, तो पहले जो राजा का एहसान मानता रहा, पर अब उसकी दी हुई दौलत पे अपना हक समझने लग पड़ा था। तो नाराज़ होके राजा के पास गया और बोलने लगा कि ऐसे कैसे हो सकता है और थोड़ा ऊंचा बोलना शुरू हो गया। तो राजा ने फिर ऐलान किया कि अब इसको कभी 30 सिक्के नहीं दिए जाएंगे। 

4) इंसान की भी हालत कुछ ऐसी है। *प्रभु ने इतना कुछ दिया है हमें, उसका शुक्र करने के बदले हम गिले-शिकवों में पड़ जाते हैं। अगर हमें 10 चीज़ें मिली हैं तो हम उनके लिए शुक्रगुजार नहीं होते बल्कि जो एक चीज नहीं मिली उसके लिए हम प्रभु से गिले-शिकवे करने शुरू हो जाते हैं।*
*_'God Ows us nothing but He Gives us everything.'_*

5) आपने संगत में भी महापुरुषों से सुना-
*_'इक-इक स्वांस इसी का दिया है जो मैं लेता हूं,_*
*_अपना आप जताने को अब और ये क्या एहसान करें'_*
आप महापुरुष सेवा सिमरन सत्संग के हमेशा मौके ढूंढते रहते हैं ताकि हम मानव जाति की सेवा कर पाएं, *हर पल सिमरन करके इस प्रभु को हमेशा याद करते रहें, सत्संग करके इसके गुण-गान गायें, इसका शुक्राना करें, हर पल शुक्राना करें, जितना करें उतना कम है।* यही अरदास है निरंकार किरपा बनाए रखे, *हर इक संत के अंदर शुक्राने का भाव बना रहे, अपनी खुदगर्जी कभी ना आए, मनमुटाव या कोई लालच कभी ना आए।*

साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी

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