*सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज के प्रवचन (4-मार्च-17, विशाखापट्नम, आंध्र प्रदेश)-*
प्यारी साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी
- बाबा जी के साथ Vizag में अनेकों बार आने का मौका मिला। आप महापुरुषों का भरपूर प्यार भी मिलता रहा है हमेशा।
- बाबा जी ने हमें हर चीज़ गुरमत वाले नज़रिये से समझाई, इस ज्ञान की नज़र
से हमें समझाई।* एक बार चश्मे का उदाहरण देते हुए बाबा जी ने समझाया-
अगर किसी की नज़र कमजोर होती है तो वह व्यक्ति आँखों के डॉक्टर के पास जाता है। डॉक्टर उसकी आंखों की जांच करके एक नंबर देता है और बोलता है इस नंबर का आप चश्मा लगा लो और वह चश्मा लगाने के बाद उसको जो पहले सब कुछ धुंधला दिख रहा होता है, फिर वही साफ दिखना शुरू हो जाता है। - पर
वही व्यक्ति अगर डॉक्टर के पास जाए और डॉक्टर से आंखों की जांच करवा कर
चश्मा भी बनवा ले, पर वह चश्मा लगाए ना, तो उसे वैसे ही धुंधला ही नजर
आएगा।
इसमें डॉक्टर या चश्मे का तो कोई दोष नहीं है।
इसी प्रकार हम सत्संग में आते हैं, महापुरुषों के वचन सुनते हैं और *अगर हम महापुरुषों के वचनों पर अमल करते हैं तो हमारा जीवन ऊंचाइयों की तरफ जाता है। पर अगर हम उन वचनों पर अमल करने के बदले उनको ऐसे ही छोड़ दें, सत्संग में आकर अपनी मनमर्जी करें, तो उस व्यक्ति का जीवन हमेशा गिरावट की तरफ जाएगा।* - इसी उदाहरण को आगे बढ़ाते हुए बाबा जी ने समझाया -
कई बार ऐसा होता है कि आंखों में रोशनी ही नहीं होती किसी की, तो वह व्यक्ति चाहे जितना मोटा चश्मा शीशे का लगा ले या जिस मर्जी नंबर का चश्मा लगा ले, उसे कुछ नजर नहीं आएगा।
इसी प्रकार *हम वेद शास्त्र ग्रंथ तो पढ़ते हैं, पर जब हमें यह ज्ञान रूपी नज़र मिल जाती है, तो वेद ग्रंथ भी हमें और आसानी से इस ज्ञान के मार्ग में गवाही देनी शुरू कर देते हैं।* - हम जब चश्मा लगा लेते हैं तो उसे हमको बार-बार उतार के, अनेकों बार
उतार के, साफ भी करना पड़ता है क्योंकि उस पर कई बार हमारे अपने ही गंदे
हाथ लग जाते हैं या मिट्टी उड़ रही है तो मिट्टी शीशे पर जम जाती है। तो
इसी के लिए *महापुरुषों को सेवा सिमरन सत्संग के साथ इसी प्रकार जोड़ा गया
है ताकि महापुरुषों के वचन सुन कर, सेवा सिमरण सत्संग करके, उनका इस ज्ञान
पर और अटूट विश्वास पैदा होता जाये।*
निरंकार कृपा करें कि हर संत के जीवन में इतनी शक्ति हो कि इस ज्ञान के रास्ते पर, इस रोशनी के रास्ते पर वह चलता जाए और इंसानियत के रास्ते पर चलता जाए। - जब हमारी गाड़ियां ग्राउंड की तरफ, इधर समागम की तरफ आ रही थी तो एक लाइन लिखी हुई थी कि -
*_"Be the change that you want to see in this world."_*
यह महात्मा गांधी जी की लाइंस हमने बाबा जी से भी अनेकों बार यह लाइन सुनी। संतो ने हमेशा यही हमसे चाहा कि *पहले हम अपना जीवन सँवारे, इंसानियत के रास्ते पर, Humility Love Passion के रास्ते पर, पहले खुद चलें और फिर औरों को चलने के लिए भी प्रेरणा दें।*
निरंकार हर इंसान का जीवन ऐसा प्रेरणादायक बना दे।
साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी।