*सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज के प्रवचन (26-फरवरी-17, कोलकता समागम, दूसरा दिन)-*
प्यारी साध सांगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी
1)
आज समागम के दूसरे दिन आपने सुबह सेवादल की रैली का रूप देखा और अब आप
सत्संग का आनंद ले रहे हैं, अपनी भक्ति का आनंद ले रहे हैं।
बाबा जी ने हमेशा यही सिखाया -
*_'Spend time to improve yourself but do not waste time to prove it.'_*
*हमें
अपना समय अपने आपको सुधारने के लिए जरूर लगाना है, पर ये ना हम सोचें, कि
हम लोगों को दिखाएं, देखो जी हम अपने आप को कितना improve कर रहे हैं।*
2)
*मीराबाई, भक्त कबीर, प्रहलाद, इन सबके जीवन से आप वाकिफ हैं, उन्होंने
सिर्फ भक्ति करी और लोगों को ये कभी नहीं बताया कि मैं ज्ञानवान हूं मैं
भक्त हूं।* उनकी भक्ति के कारण ही सब उनके साथ जुड़ते गए और आज तक श्रद्धा
से सब उनको याद करते हैं।
3)
दूसरी तरफ रावण जो अभिमानी था, उसको अपनी भक्ति का अभिमान भी था और सिर्फ
यही दिखाना चाहता था कि मैं कितना महान हूं। अभी तक हर बरस उसका पुतला
जलाते हैं और उसके अभिमान के लिए ही उसको याद किया जाता है।
*अगर हम भक्ति सिर्फ इसलिए कर रहे हैं कि लोग देखें मैं कितना बड़ा भक्त हूं तो वह भक्ति नहीं होती।*
4)
आप सब प्रधान जी के जीवन से भी वाकिफ थे कि उन्होंने कितना बरस कोलकाता
में लगाया और जगह-जगह जाके इस मिशन का प्रचार किया, तब तो कारें भी नहीं थी
मिशन के पास इतनी, कभी ट्रेन पे जाना पड़ा तो वह ट्रेन पर चले गए, बस पे
जाना पड़ा तो बस पे चले गए, इतना सरल सा का जीवन था उनका और इसी सरलता के
साथ उन्होंने अनेकों को इस मिशन के साथ भी जोड़ा।
निरंकार से यही अरदास है कि *सबके जीवन में सरलता बनी रहे भक्ति बनी रहे और बढ़-चढ़ के इस मिशन का प्रचार आगे से आगे कर पाएं।*
प्यारी साध सांगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी
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