Tuesday, November 13, 2018

ईश्वर भक्ति

ईश्वर की भक्ति हमे अद्भुत शक्ति देती हैं क्योकि हमारे मन के विकार दूर हो जाते हैं और मन शांत और सरल हो जाता हैं। हम अपने समय और धन को अच्छे कार्यो में लगाते हैं जिससे हमे जीवन में सफलता और ख़ुशी मिलती हैं।ईश्वर इस जगत के कण-कण में हैं, वो सदा हमारे पास, हमारे साथ दुःख-सुख में रहते हैं।जब भी आपके मन में बुरे ख्याल या किसी के प्रति घृणा आ रहा हो तो अपने मन को ईश्वर की चरणों में लगाएँ।ऐसे विकार केवल ईश्वर के मनन से ही दूर हो जाता हैं और आप अपनी शक्ति और समय का उपयोग किसी अच्छे कार्य की लिए कर सकते है

✍🏻भगवान के बारे मे  कुछ  किताबे  पढ़ने  से या किसी गुरू के आशीर्वाद से ईश्वर और उनकी महिमा को नही समझा जा सकता हैं, यह केवल एक अनुभूति होती हैं जिसे शब्दों में बयाँ नही किया जा सकता हैं। इसे आपको को खुद अनुभव करना पड़ता हैं।

✍🏻भगवान से कुछ माँगने पर न मिले तो उनसे नाराज मत होना क्योकि भगवान वह नही देते जो आपको अच्छा लगता हो बल्कि वह देते हैं जो आपके लिए अच्छा होता हैं। 


✍🏻ईश्वर पर आप तभी विश्वास कर सकते हैं जब आपको खुद पर विश्वास हो क्योकि ईश्वर बाहर नही हमारे अंदर ही हैं। 


✍🏻सच्चा प्यार और ईश्वर एक तरह होते हैं मिल जाने पर और कोई ख्वाहिश नही रहती हैं। 


✍🏻स्वर्ग और नर्क सिर्फ हमारे दिमाग में हैं, मनुष्य अपने कर्मो का फल इसी पृथ्वी पर पाता हैं। 


✍🏻कर्म में विश्वास करना, खुद पर विश्वास करना और खुद पर विश्वास करना ईश्वर पर विश्वास करना होता हैं। 


✍🏻माता-पिता की सेवा ईश्वर की सेवा के बराबर होता हैं।
✍🏻ईश्वर के प्रति भक्ति भाव रखना और अच्छे कार्य को करना हमे मानसिक शांति देता हैं। 


✍🏻यदि आप यह मानते है कि आपके अंदर ईश्वर का अंश है तो आप किसी भी असम्भव कार्य को कर सकते हैं। 


✍🏻प्रकृति से प्रेम करना ईश्वर से प्रेम करने के बराबर होते हैं, यही ईश्वर का सच्चा रूप हैं। 


✍🏻मौन प्रार्थनाएँ जल्दी पहुँचती हैं भगवान् तक क्योकि ये शब्दों के बोझ से मुक्त होती हैं। 


✍🏻सुख में धर्म कार्य और दूसरो की मदद जरूर करनी चाहिए क्योकि बुरे समय में यही काम आता हैं। 


✍🏻जब आप एकदम अकेला महसूस करते हैं तब भी आपके साथ ईश्वर होते हैं। 


✍🏻स्वर्ग की कामना रखने वाले लोग कभी मोक्ष नही प्राप्त कर सकते हैं। 


✍🏻भगवान के अस्तित्व को मानने से आत्मबल मिलता हैं।
ईश्वर भक्ति से मन के विकार समाप्त हो जाते हैं और हम भगवान की समीप पहुँच जाते हैं। ✍🏻जब तक आप स्वयं पर विश्वास नही करते, तब तक आप ईश्वर पर भी विश्वास नही कर सकते हैं। 


✍🏻कर्म का अधिकार मनुष्य के पास है लेकिन फल ईश्वर देते हैं, इसलिए कर्म को सच्चे मन से करना चाहिए क्योकि मनुष्य के जीवन में उसके कर्मो का फल ही घटित होता हैं। 


✍🏻जब ईश्वर मनुष्य की परीक्षा लेते हैं तब वो मनुष्य का सामर्थ्य भी बढ़ा देते हैं ताकि वो अधिक बुद्धिमान और अधिक ताकतवर बनें। 


✍🏻अगर आपकी समस्या एक जहाज जितनी बड़ी है तो यह नही भूलना चाहिए कि भगवान की कृपा सागर जितनी विशाल हैं। 


✍🏻सच्चा प्रेम और भगवान एक जैसे ही होते हैं जिसके बारें में बातें सब करते हैं लेकिन महसूस बहुत कम ही लोग करते हैं। 


✍🏻जिसका मन सच्चा और कर्म अच्छा हैं वही भगवान का सच्चा भक्त हैं और ऐसे लोगो पर ईश्वर की कृपा हमेशा बनी रहती हैं। 


✍🏻भगवान न दिखाई देने वाले माता-पिता हैं और माता-पिता दिखाई देने वाले भगवान् हैं। 


✍🏻ईश्वर का सन्देश – सोने से पहले तुम सबको माफ़ कर दिया करो और तुम्हारे जागने से पहले मैं तुम्हें माफ़ कर दूँगा। 


✍🏻जब हम गेहूँ का एक दाना बोते हैं तो कुछ समय पश्चात वो हमे हजार दाने के रूप में मिलता हैं उसी तरह हमारे अच्छे कर्मो का फल हमें ईश्वर भी देता हैं। 


✍🏻मेरे और भगवान के बीच में बहुत ही ख़ूबसूरत रिश्ता हैं, मैं ज्यादा माँगता नही और वे कम देते नही हैं। 


✍🏻पूरी दुनिया में ढूढ़ने के बाद भी नही मिलता हैं वही माया हैं और जो एक जगह पर बैठे ही मिल जाए वही परमात्मा हैं। 


✍🏻भगवान का भक्त होने का मतलब यह नही कि आप कभी भी गिरेंगे नही, पर जब आप गिरेंगे तो भगवान आपकी स्वयं थाम लेंगे। 


✍🏻यदि आपके पास सिर्फ भगवान हैं तो आपके पास वह सब हैं जो आपको चाहिए। 


✍🏻हे भगवान, सुख देना तो बस इतना देना कि जिसमें अहंकार न आये और दुःख देना तो बस इतना कि जिसमें आस्था ना टूटे।


✍🏻वो तैराक भी डूब जाते हैं जिनको ख़ुद पर गुमान होता हैं और वो गँवार भी डूबते-डूबते पार हो जाते हैं जिनपर भगवान मेहरबान होते हैं।
✍🏻सच्चे मन से ही की गई प्रार्थना भगवान तक पहुँचती हैं। 


✍🏻श्रद्धा का मतलब हैं आत्मविश्वास और आत्मविश्वास का मतलब हैं ईश्वर में विश्वास। 


✍🏻जो मनुष्य जीवन में सत्य के मार्ग पर चलता हैं, उसका सफ़र ईश्वर के पास आके ही समाप्त होता हैं।

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