सतगुरु की असीम किरपा है जो हमे उन्होंने अपनी महर नजर से नवाजा है और अमूल्य सौगात "ब्रह्मज्ञान" देकर हमे इस निरंकार प्रभु को अंग संग दिखलाया है,जिस तरह हीरा सोने जैसी मूल्यवान धातु के साथ ही सुशोभित होता है वैसे ही ब्रह्मज्ञान को ग्रहण करने के बाद प्यार नम्रता दया सहनशीलता और सभी के प्रति भलाई वाले गुण धारण करने से ही इस ब्रह्मज्ञान का असर होगा और जीवन को सुंदरता प्राप्त होगी।अगर ऐसे कर्म बने हुए है तो मुबारक है और मानव योनि में जन्म भी सार्थक है,अगर नही तो अभी ऐसे कर्म करने होंगे जो हमे भक्ति मार्ग पर आगे से आगे ले जाएं।किरपा करो इस ब्रह्मज्ञान की कदर करें और सभी के साथ प्यार आदर और सत्कार से रहते हुए सतगुरु की आशीष के पात्र बने रहे यही अरदास कामना जी।
🙏🌷धन निरंकार जी 🌷🙏
🙏🌷धन निरंकार जी 🌷🙏
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