सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज के प्रवचन (20-अगस्त-17, दिल्ली)
प्यारी साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी
1) कुछ वर्ष पहले बाबा जी ने कवि दरबार में एक समस्या दी थी -
'विश्वास ही इंसान है, विश्वास ही भगवान है।'
बाबाजी ने हमेशा यही समझाया -
'जितना निरंकार पे हमारा विश्वास बढ़ता है, उतने ही हम पूर्ण गुरसिख बन पाते हैं।'
ज्यों-ज्यों हम इसके प्रति समर्पित होते हैं, त्यों-त्यों हमारे अंदर एक Positivity की भावना आती है, Positive हम बनते जाते हैं।
2) आप Nature में ही देख लीजिए। एक Catepillar समर्पित होता है और कितना सुंदर एक तितली का रूप ले लेता है। जब वो एक Cocoon की form में होता है, उसके इर्द-गिर्द सिर्फ अंधेरा होता है, उसको ये नहीं पता होता कि मेरा future क्या है, वो सिर्फ surrender ही करता है।
3) इसी के साथ वो Godfidence वाला word भी ध्यान में आ गया। संत-महापुरुष अपने पे Confidence नहीं, इस निरंकार की Godfidence पे विश्वास रखते हैं क्योंकि वह जानते हैं इस निरंकार को पता है, हमारी बेहतरी किसमें है, हमारी भलाई किसमें है।
4) कुछ दिन पहले वो lines पढ़ने को मिली कि-
धोखा खाने वाला तो संभल जाता है पर धोखा देने वाला संभल नहीं पाता क्योंकि उसके अंदर एक guilty conscious की feeling रहती है।
5) पर महापुरुष हमेशा समर्पित भाव में ही रहते हैं, इसलिए उनके अंदर एक Peace of Mind होता है।
और ये Peace of Mind निरंकार के साथ पूरी तरह से जुड़ने से ही आता है और वो महापुरुष अपने इस विश्वास और इस Godfidence के साथ हमेशा निरंकार के साथ जुड़े रहते हैं और एक Peaceful जिंदगी व्यतीत कर पाते हैं।
साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी।
प्यारी साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी
1) कुछ वर्ष पहले बाबा जी ने कवि दरबार में एक समस्या दी थी -
'विश्वास ही इंसान है, विश्वास ही भगवान है।'
बाबाजी ने हमेशा यही समझाया -
'जितना निरंकार पे हमारा विश्वास बढ़ता है, उतने ही हम पूर्ण गुरसिख बन पाते हैं।'
ज्यों-ज्यों हम इसके प्रति समर्पित होते हैं, त्यों-त्यों हमारे अंदर एक Positivity की भावना आती है, Positive हम बनते जाते हैं।
2) आप Nature में ही देख लीजिए। एक Catepillar समर्पित होता है और कितना सुंदर एक तितली का रूप ले लेता है। जब वो एक Cocoon की form में होता है, उसके इर्द-गिर्द सिर्फ अंधेरा होता है, उसको ये नहीं पता होता कि मेरा future क्या है, वो सिर्फ surrender ही करता है।
3) इसी के साथ वो Godfidence वाला word भी ध्यान में आ गया। संत-महापुरुष अपने पे Confidence नहीं, इस निरंकार की Godfidence पे विश्वास रखते हैं क्योंकि वह जानते हैं इस निरंकार को पता है, हमारी बेहतरी किसमें है, हमारी भलाई किसमें है।
4) कुछ दिन पहले वो lines पढ़ने को मिली कि-
धोखा खाने वाला तो संभल जाता है पर धोखा देने वाला संभल नहीं पाता क्योंकि उसके अंदर एक guilty conscious की feeling रहती है।
5) पर महापुरुष हमेशा समर्पित भाव में ही रहते हैं, इसलिए उनके अंदर एक Peace of Mind होता है।
और ये Peace of Mind निरंकार के साथ पूरी तरह से जुड़ने से ही आता है और वो महापुरुष अपने इस विश्वास और इस Godfidence के साथ हमेशा निरंकार के साथ जुड़े रहते हैं और एक Peaceful जिंदगी व्यतीत कर पाते हैं।
साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी।
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