🙏🏻 पूर्ण विश्वास 🙏🏻
आज आदमी के दुख का सबसे बड़ा कारण है प्रभु पर पूर्ण विश्वास का ना होना। प्रभु विश्वास पर शक करना, अपना दिमाग चलाना। ऐसा क्यों हो गया वैसा क्यों हो गया? तमाम तर्क वितर्क इंसान की उलझनों को और बढ़ा देते हैं। इंसान का दिमाग इतना हावी हो जाता है कि वह अपने ही मन जाल में फँस जाता है। मैंने ये किया मैंने वो किया, यही कर्तापन अभिमान आदमी को ले डूबता है। जब तक इंसान खुद को कर्ता मानता है, अपना दिमाग चलाता है उसे प्रभु पर विश्वास हो नहीं सकता और बिना विश्वास के शाँति और प्रेम का जन्म नहीं होता। बड़े बड़े एचीवमेंट से सुख शाँति नहीं मिलती, धन दौलत दुनियावी प्राप्तियों से कभी सुख शाँति नहीं मिलती। सुख शाँति सुकून चैन केवल प्रभु भक्ति और पूर्ण विश्वास से मिलता है। जो सुख को चाहो सदा शरण राम की लो। जब प्रभु पर हमें पूर्ण विश्वास होता है तो हम अपनी औकात में रहते हैं। जब सबको पता है कि प्रभु की मर्जी के बिना कुछ भी नहीं होता तो फिर चिंता किस बात की। हमें प्रभु के प्रति संपूर्ण समर्पण कर देना चाहिए। यही संपूर्ण समर्पण ही पूर्ण विश्वास है। मेरा मुझ में कुछ नहीं जो कुछ है सो तेरा, तेरा तुझको सौंप दिया तो क्या लागे है मेरा। जब प्रभु पर पूर्ण विश्वास होगा तो सदा शुकराने का भाव होगा। शुकर शुकर करते रहना ही प्रभु के प्रति पूर्ण विश्वास है। प्रभु की रजा में राजी रहना ही पूर्ण विश्वास है।
💐 धन निरंकार जी 💐
आज आदमी के दुख का सबसे बड़ा कारण है प्रभु पर पूर्ण विश्वास का ना होना। प्रभु विश्वास पर शक करना, अपना दिमाग चलाना। ऐसा क्यों हो गया वैसा क्यों हो गया? तमाम तर्क वितर्क इंसान की उलझनों को और बढ़ा देते हैं। इंसान का दिमाग इतना हावी हो जाता है कि वह अपने ही मन जाल में फँस जाता है। मैंने ये किया मैंने वो किया, यही कर्तापन अभिमान आदमी को ले डूबता है। जब तक इंसान खुद को कर्ता मानता है, अपना दिमाग चलाता है उसे प्रभु पर विश्वास हो नहीं सकता और बिना विश्वास के शाँति और प्रेम का जन्म नहीं होता। बड़े बड़े एचीवमेंट से सुख शाँति नहीं मिलती, धन दौलत दुनियावी प्राप्तियों से कभी सुख शाँति नहीं मिलती। सुख शाँति सुकून चैन केवल प्रभु भक्ति और पूर्ण विश्वास से मिलता है। जो सुख को चाहो सदा शरण राम की लो। जब प्रभु पर हमें पूर्ण विश्वास होता है तो हम अपनी औकात में रहते हैं। जब सबको पता है कि प्रभु की मर्जी के बिना कुछ भी नहीं होता तो फिर चिंता किस बात की। हमें प्रभु के प्रति संपूर्ण समर्पण कर देना चाहिए। यही संपूर्ण समर्पण ही पूर्ण विश्वास है। मेरा मुझ में कुछ नहीं जो कुछ है सो तेरा, तेरा तुझको सौंप दिया तो क्या लागे है मेरा। जब प्रभु पर पूर्ण विश्वास होगा तो सदा शुकराने का भाव होगा। शुकर शुकर करते रहना ही प्रभु के प्रति पूर्ण विश्वास है। प्रभु की रजा में राजी रहना ही पूर्ण विश्वास है।
💐 धन निरंकार जी 💐
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