Tuesday, September 5, 2017

पतंग सी है जिंदगी, कहाँ तक जाएगी...!

पतंग सी है जिंदगी, कहाँ तक जाएगी...!
रात हो या उम्र, एक न एक दिन कट ही जाएगी...!!


सही तो है,,,,,जीवन भी पतंग की तरह ही है,हवा (हालात) अनुकूल है तो बहुत ऊपर तक जाती है जीवन की पतंग और नही है तो बहुत मेहनत करनी पड़ती है,लेकिन जिस पतंग को मेरा सतगुरू दीन दयाल उड़ाता है वो आसमान को छूती है,सतगुरु के हाथ मे अपनी जीवन डोर देने से सभी विकारों के पतंग अपने आप कटते जातें हैं और ऐसे जीवन की पतंग हमेशा ऊंचाइयों को हासिल करती है,बस जरूरत है ये जीवन की डोर सतगुरु के हाथों में देने की यानी पूर्ण समर्पण करने की जिसने की वो निहाल हो जाता है।रहमत करो आशीष देओ सतगुरु की सिखलाई और आप संतजानो के चरणों से सीखते हुए प्रेम से रहना आ जाए,सबका आदर सत्कार करना आ जाए,सभी से मिलवर्तन वाला भाव हो मन में,सभी के गुण ही देखें,और सीखते जाएं यही अरदास कामना जी,,,,इस जीवन की पतंग कटने से पहले गुरुमत के आसमान में उड़ती रहे यही मांग यही प्रार्थना है जी।

  🙏🌷धन निरंकार जी🌷🙏

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