ऊंचाई चौखटों की लाख बढ़ा लो,,,,
कद तो इंसानियत से ही बढ़ता है।
इंसान चाहे बेशुमार दौलत कमा ले,नाम रुतबा शोहरत हासिल कर ले,पर जब तक किसी का दर्द समझ नही पाया, किसी के काम नही आ पाया तब तक ये दौलत नाम रुतबा शोहरत किसी काम की नही है, इन चीजों की सार्थकता तभी है जब ये इंसानियत की राह पर खर्च हों, तभी इनमें बढ़ोतरी भी होती है। सर सजदे में झुका हुआ हो और दिल में नफरत हो तो ऐसा सजदा कभी क़बूल नही होंता परवर दिगार की चौखट पर,खूबसूरत ज़िन्दगी का यही उसूल है,,,,
दुआ की जाए,,,
दुआ दी जाए,,,
दुआ ली जाए,,,
तू ही निरंकार
मैं तेरी शरण हाँ
मैनु बक्श लौ
प्रेम से रहना और प्रेम से कहना धन निरंकार जी।
कद तो इंसानियत से ही बढ़ता है।
इंसान चाहे बेशुमार दौलत कमा ले,नाम रुतबा शोहरत हासिल कर ले,पर जब तक किसी का दर्द समझ नही पाया, किसी के काम नही आ पाया तब तक ये दौलत नाम रुतबा शोहरत किसी काम की नही है, इन चीजों की सार्थकता तभी है जब ये इंसानियत की राह पर खर्च हों, तभी इनमें बढ़ोतरी भी होती है। सर सजदे में झुका हुआ हो और दिल में नफरत हो तो ऐसा सजदा कभी क़बूल नही होंता परवर दिगार की चौखट पर,खूबसूरत ज़िन्दगी का यही उसूल है,,,,
दुआ की जाए,,,
दुआ दी जाए,,,
दुआ ली जाए,,,
तू ही निरंकार
मैं तेरी शरण हाँ
मैनु बक्श लौ
प्रेम से रहना और प्रेम से कहना धन निरंकार जी।
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