सतगुरु माता सविंदर हरदेव जी महाराज के प्रवचन
प्यारी साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी
1) कहने को तो इंसान के अंदर जो एक unique quality होनी चाहिए वो है Empathy। मतलब कि दूसरे के दुख-दर्द में काम आना, सहानुभूति देना, उसकी problems समझना, ना कि दुख-दर्द देने वाला बनना। पर आज का इंसान सहानुभूति तो क्या, जानबूझकर वही काम करता है, वही बात करता है जिससे कि दूसरे के लिए problems create हों, उसको तकलीफ पहुंचे।
2) एक वो लाइन कईं बार सुनी-
'हम तो डूबे हैं सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे!'
मतलब खुद तो कोई ठीक काम करना नहीं है, अगर कोई और कर भी रहा होता है, तो उसको वो करने नहीं देना, उसके लिए problems create करना।
यह दुनिया में देखने को मिलता है, ये महापुरुषों वाली बात नहीं है।
3) कहीं पे एक लाइन पढ़ने को मिली-
'Don't create problems in your head, that don't even exist.'
मतलब कि हम ऐसी कोई बात अपने मन से ना पैदा कर दें जिससे खुद भी अपना मन खराब करें, अपने लिए stress create करें, परेशानी create करें और वो आगे बढ़ा-चढ़ा के लोगों की परेशानियों का कारण बन पाए।
4) निरंकार ने हमें समझ दी है ताकि हम समझदारी से काम कर पाएं। पर हम उस समझ को अपने लिए तो इस्तेमाल नहीं करते बल्कि ओर लोगों को समझाने लग पड़ते हैं। चाहे हमारे अपने अंदर हजार गलतियां क्यों ना हों, अगर किसी दूसरे के अंदर एक भी गलती है और वही गलती अगर हम खुद भी कर रहे हैं, पर उसके ऊपर उंगली उछालने लग पढ़ते हैं उसको समझाने लग पड़ते हैं।
5) बाबा जी से ये उदाहरण हमने अनेकों बार सुना कि -
अगर हमारे पास दो पोटलियां हैं, एक पोटली में दूसरे की गलतियां हैं और दूसरी पोटली में दूसरे की अच्छाइयां है, तो अच्छाई वाली जो पोटली है उसको हमेशा हम अपने आगे रखें और उसकी अच्छाइयों से हम अच्छी बातें सीख पाएं।
और अगर अपनी दो पोटलियां हैं जिसमें एक हमारी गलतियां हैं बुराइयां हैं और दूसरी में हमारी अच्छाइयां हैं तो हम अपनी अच्छाइयों वाली पोटली को हमेशा पीछे रखें और अपनी गलती वाली पोटली को आगे रखें ताकि हम एक-एक करके उस गलती को सँवार पाएं और अपना जीवन भी सुधार पाएं।
6) जो 'Work for a Cause, not for Applause' वाली भावना हमें बाबा जी ने हमेशा सिखाई, निरंकार कृपा करे इस भावना के साथ हम आगे बढ़-चढ़ के सारी दुनिया को सवांर पाएं। अपना जीवन तो सँवारे ही, सारी दुनिया को सवांर पाएं, एक सुधार लेकर आ पाएं और जैसा बाबा जी ने मिशन चाहा, हम वैसा मिशन बना पाएं।
साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी।
प्यारी साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी
1) कहने को तो इंसान के अंदर जो एक unique quality होनी चाहिए वो है Empathy। मतलब कि दूसरे के दुख-दर्द में काम आना, सहानुभूति देना, उसकी problems समझना, ना कि दुख-दर्द देने वाला बनना। पर आज का इंसान सहानुभूति तो क्या, जानबूझकर वही काम करता है, वही बात करता है जिससे कि दूसरे के लिए problems create हों, उसको तकलीफ पहुंचे।
2) एक वो लाइन कईं बार सुनी-
'हम तो डूबे हैं सनम, तुम्हें भी ले डूबेंगे!'
मतलब खुद तो कोई ठीक काम करना नहीं है, अगर कोई और कर भी रहा होता है, तो उसको वो करने नहीं देना, उसके लिए problems create करना।
यह दुनिया में देखने को मिलता है, ये महापुरुषों वाली बात नहीं है।
3) कहीं पे एक लाइन पढ़ने को मिली-
'Don't create problems in your head, that don't even exist.'
मतलब कि हम ऐसी कोई बात अपने मन से ना पैदा कर दें जिससे खुद भी अपना मन खराब करें, अपने लिए stress create करें, परेशानी create करें और वो आगे बढ़ा-चढ़ा के लोगों की परेशानियों का कारण बन पाए।
4) निरंकार ने हमें समझ दी है ताकि हम समझदारी से काम कर पाएं। पर हम उस समझ को अपने लिए तो इस्तेमाल नहीं करते बल्कि ओर लोगों को समझाने लग पड़ते हैं। चाहे हमारे अपने अंदर हजार गलतियां क्यों ना हों, अगर किसी दूसरे के अंदर एक भी गलती है और वही गलती अगर हम खुद भी कर रहे हैं, पर उसके ऊपर उंगली उछालने लग पढ़ते हैं उसको समझाने लग पड़ते हैं।
5) बाबा जी से ये उदाहरण हमने अनेकों बार सुना कि -
अगर हमारे पास दो पोटलियां हैं, एक पोटली में दूसरे की गलतियां हैं और दूसरी पोटली में दूसरे की अच्छाइयां है, तो अच्छाई वाली जो पोटली है उसको हमेशा हम अपने आगे रखें और उसकी अच्छाइयों से हम अच्छी बातें सीख पाएं।
और अगर अपनी दो पोटलियां हैं जिसमें एक हमारी गलतियां हैं बुराइयां हैं और दूसरी में हमारी अच्छाइयां हैं तो हम अपनी अच्छाइयों वाली पोटली को हमेशा पीछे रखें और अपनी गलती वाली पोटली को आगे रखें ताकि हम एक-एक करके उस गलती को सँवार पाएं और अपना जीवन भी सुधार पाएं।
6) जो 'Work for a Cause, not for Applause' वाली भावना हमें बाबा जी ने हमेशा सिखाई, निरंकार कृपा करे इस भावना के साथ हम आगे बढ़-चढ़ के सारी दुनिया को सवांर पाएं। अपना जीवन तो सँवारे ही, सारी दुनिया को सवांर पाएं, एक सुधार लेकर आ पाएं और जैसा बाबा जी ने मिशन चाहा, हम वैसा मिशन बना पाएं।
साध संगत जी प्यार से कहना धन निरंकार जी।
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